पग पग डग डग चलता जा तू
कदम कदम यूँ बढ़ता जा तू
कितना कुछ है पाया तुमने
कितना कुछ पाना है बाकी।
थोड़ी दूर भोर है बाकी।।
अँधियारा अब दूर हो रहा
दूर क्षितिज पर सूर्य दिख रहा
हटा रहा बादल का घूँघट
थोड़ा और हटाना बाकी।
थोड़ी दूर भोर है बाकी।।
चलते पथ में रुकना कैसा
बाधाओं में झुकना कैसा
उम्मीदों ने राह पकड़ ली
चली बहुत, कुछ और है बाकी।
थोड़ी दूर भोर है बाकी।।
पाने को सम्मान बहुत है
गढ़ने को प्रतिमान बहुत है
पथ के कंटक फूल बन रहे
धुंध छँटे कुछ और है बाकी।
थोड़ी दूर भोर है बाकी।।
©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
11अप्रैल, 2021
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