प्रेम गीत।

प्रेम गीत।  

हँसते फूल चुने हैं मैंने
तुम उनको लेने आ जाना
अपनी मोहक मुस्कानों से
अंतरतम तक तुम छा जाना।

कोमलता का चरम बिंदु तुम
सहज प्रेम का परम सिंधु तुम
तुम हो जीवन की उज्ज्वलता
मधु भावों का केंद्र बिंदु तुम।
मेरे अंतस के भावों में
तुम अपने भाव मिला जाना
हँसते फूल चुने हैं मैंने
तुम उनको लेने आ जाना।।

मृदु पंकज पलकों पर तेरे
उज्ज्वल सूरज का प्रकाश है
और मधुर अवयव में तेरे
मृदुल भावों का आकाश है।
मेरे मृदु भावों में अपना
तुम मृदु मधुमास मिला जाना।
हँसते फूल चुने हैं मैंने
तुम उनको लेने आ जाना।।

अंग अंग तेरे दिव्य निखिल
नवजीवन की तुझमें क्षमता
सकल प्रभावित पुण्य पुंज तुम
तृण तृण तुझमें है प्रियता।
मेरे अंतस के प्रियतम से
प्रिय अपना प्रेम मिला जाना
हँसते फूल चुने हैं मैंने
तुम उनको लेने आ जाना।।

©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
        22अप्रैल, 2021




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