विकलाँगता- अभिशाप नहीं।
लेकिन दूर मुझे भी जाना है
जैसा सब जन ने पाया है
मुझको भी मंजिल पाना है।
कमजोरी अभिशाप नहीं है
इसको वरदान बना लूँगा
अपने हिम्मत औ ताकत से
अपने अरमान सजा लूँगा।
लिख सकता इतिहास नया मैं
ये दुनिया को दिखलाना है।
दौड़ नहीं सकता सब जैसा
लेकिन दूर मुझे भी जाना है।।
अहसानों का पात्र न समझो
मुझको किंचित मात्र न समझो
इस शारीरिक कमजोरी को
तुम कोई अभिशाप न समझो।
बिना सहारे बैसाखी के
अब मंजिल मुझको पाना है
दौड़ नहीं सकता सब जैसा
लेकिन दूर मुझे भी जाना है।।
माना मैं कुछ कमजोरी है
मजबूत हौसला है मेरा
गढ़ने को आकाश यहाँ है
अब यही फैसला है मेरा।
कमजोर नहीं मैं दुनिया मे
ये दुनिया को बतलाना है।
दौड़ नहीं सकता सब जैसा
लेकिन दूर मुझे भी जाना है।।
©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
22अप्रैल, 2021
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें