उजियारा तो होना है।

उजियारा तो होना है।  

माना रात अँधेरी है पर उजियारा तो होना है
उम्मीदें जब हमराही फिर काहे का रोना है।।

सपने तेरी आँखों में फिर से देखो खिल जाएंगे
पलकों से जो गिरे कभी तो कहो किधर फिर जाएंगे
बिछड़े आज पलक से तेरी लेकिन कल फिर आएंगे
जीवन का दस्तूर यही है कभी पाना कभी खोना है
माना रात अँधेरी है पर उजियारा तो होना है।।

जीवन मोती की माला है प्रतिपल एक तपस्या है
मानो तो ये अवसर है औ मानो तो एक समस्या है
जीवन की राहों में हमको हर सुख दुख अपनाना है
पल पल अश्रु बहाने से कब मिला यहाँ जो खोना है
माना रात अँधेरी है पर उजियारा तो होना है।।

पनघट की चिकनी राहों पर फिसले कितनी बार गिरे
कभी भरी सपनों की गागर और कभी अरमान गिरे
लेकिन अरमानों की खातिर गिरना और सँभलना है
जो मिला नहीं उसकी खातिर आज नहीं फिर रोना है
माना रात अँधेरी है पर उजियारा तो होना है।।

©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
        28अप्रैल, 2021




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