गीत खुशी के गाता हूँ।

गीत खुशी के गाता हूँ।  

सहमी सहमी आज पवन है
सहमी सभी दीशाएँ हैं
लेकिन इन सहमी राहों पर
मैं तो आता जाता हूँ
मैं गीत खुशी के गाता हूँ।।

आज रुका कल चल जाएगा
झुका कहीं फिर उठ जाएगा
थक कर बैठ नहीं सकता हूँ
मैं प्रतिपल चलता जाता हूँ
मैं गीत खुशी के गाता हूँ।।

बहती आँखों के आँसू का
अब मोल बहुत ही गहरा है
लेकिन हर पल इन आँसू पर
पलकों का मेरे पहरा है
पलकों के साये में प्रतिपल
मैं सारे भाव छुपाता हूँ
मैं गीत खुशी के गाता हूँ।।

कह दो तम से अँधियारों से
इन राहों के अंगारों से
आँधी से औ तूफानों से
कह दो सारे अवसादों से
अब नहीं कहीं घबराता हूँ
मैं गीत खुशी के गाता हूँ।।

जीवन की राहों में अब तो
अवसादों की बात पुरानी
मैंने इन गीतों में लिख दी
जीवन की इक नई कहानी
उम्मीदों की इस गाथा को
मैं पल पल अब दुहराता हूँ
मैं गीत खुशी के गाता हूँ।।

©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
       28अप्रैल, 2021




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