अवधी गीत-वन जिन जाइहा।

 अवधी गीत-  वन जिन जाइहा।  

हे भइया तू वन जिन जाईहा
हे भइया तू वन जिन जाइहा।

बिन तोहरे निक नाहि लागे 
सूरज, चंदा, तारे हो 
बिन तोहरे निक नाहि लागे 
सूरज, चंदा, तारे
तोहसे ही सब जुड़ल इहाँ है
औ सब हउए तोहरे सहारे
तोहरे बिना नदिया सुनी
बहे कइसे ई पुरवइया
हे भइया तू वन जिन जाइहा।।

तोहसे ही है दिनवा हमार 
सुबह, दोपहर, रतिया, हो
तोहसे ही है दिनवा हमार 
सुबह, दोपहर, रतिया
बिन तोहरे हम केसे बोलब
अपने जिउ के बतिया
तोहके देखे बिना मुश्किल हौ
मुश्किल हौ रहवइया।
हे भइया तू वन जिन जाइहा।।

हम सबके बस तू ही देवता
तू हउआ भगवान, हो
हम सबके बस तू ही देवता
तू हउआ भगवान।
बिन तोहरे कुछ कइसे समझब
तोहपे हौ अभिमान
तोहसे ही सब ज्ञान ध्यान हौ
तू ही हउआ हमार खेवइया
हे भइया तू वन जिन जाइहा।।

जो तू जाइबा जंगल मां 
तो हमहू सङ्गे जाइब, हो
जो तू जाइबा जंगल मां
तो हमहू सङ्गे जाइब।
रतिया दिनवा सेवा करब
जिनगी सङ्गे बिताइब।
बिन तोहरे मुश्किल हौ जीवन
तू ही संगी, साथी, भइया
है भइया तू वन जिन जाइहा।।

©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
        21अप्रैल, 2021




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