विश्वास नहीं खोना।
धीर नहीं खोना मन मेरे
दुःख के बादल हट जाएंगे
किरण नई फिर से फूटेगी
पुनः अंधेरे छँट जाएंगे।
कहीं अँधेरे कहीं उजाले
ये जीवन की बारातें हैं
बस कुछ दिन की बातें हैं
फिर अपने दिन औ रातें हैं।
इनसे ना डर कर रुक जाना
आज घने, कल छँट जाएंगे।
धीर नहीं खोना मन मेरे
दुःख के बादल हट जाएंगे।।
कहने को तो सब अपने हैं
पर कितने, कहना मुश्किल है
चले सफर में यहां सभी पर
साथ रहा जो, तेरा दिल है।
बिछड़े यहां सफर में जो भी
कहीं कभी फिर मिल जाएंगे।
धीर नहीं खोना मन मेरे
दुःख के बादल हट जाएंगे।।
चाहे कितनी मुश्किल आये
लाख अँधेरे पथ भटकाएँ
जीवन से अहसास न खोना
बस खुद से विश्वास न खोना।
विश्वास अटल, जो बना रहा
वीराने भी खिल जाएंगे।
धीर नहीं खोना मन मेरे
दुःख के बादल हट जाएंगे।।
✍️©️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
22अक्टूबर,2020
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