तुमसे वादा मेरा।
जाने क्यूँ आजकल गुनगुनाता हूँ मैं
खुद से कहता भी हूँ, औ छुपाता हूँ मैं
जाने कैसा है मुझ पर असर ये हुआ
खुद लिखता और खुद ही मिटाता हूँ मैं।
जाने कैसा हुआ है असर आजकल
खुद की रहती नहीं है खबर आजकल
डूबा रहता हूँ मैं बस तेरी याद में
सूझती है ना मुझको डगर आजकल।
एक तुझसे मिला, जग को भूला हूँ मैं
अपने दिल का पता आज भूला हूँ मैं
एक तुझसे जुड़ी हाथ की जब लकीरें
तेरी बाहों में खुद को भूला हूँ मैं।
तुम ही मंजिल मेरी तुम मेरा रास्ता
एक तेरे सिवा ना कोई वास्ता
उम्र भर तुमको ऐसे ही चाहूंगा मैं
आज वादा यही तुमसे करता हूँ मैं।।
✍️©अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
24सितंबर,2020
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