खुद से प्यार करो।
आओ इसका दीदार करें
कुछ भी करने से पहले हम
आओ खुद से भी प्यार करें।
ये जीवन है अनमोल यहां
इसे आशंका में न तोलो
इसके संकेतों को समझो
इसे अवसादों में न घोलो।
जीवन रिश्तों की क्यारी है
ये सुंदर सी फुलवारी है
ना तेरी है ना मेरी है
ये सबकी जिम्मेदारी है।
मां, बाप, बहन, भाई इसके
आवश्यक पोषक तत्व यहां
बेटी, बेटा औ पत्नी सब
जीवन उपयोगी सत्य यहां।
इनके बिना न जीवन चलता
और न कोई सपना पलता
इनसे ही हैं सारी खुशियां
इनसे ही जीवन है मिलता।
संगी, साथी, नाते, रिश्ते
इसकी छाँवों में पलते हैं
जब इसका वरदान मिले है
तब जीवन उपवन खिलते हैं।
इक दूजे के लिये यहां तुम
सम्मान सदा मन में रखना
कैसी भी विपदाएं आएं
विश्वास सदा सब पर रखना।
विश्वास यहां वो डोरी है
जिसपर ये जीवन चलता है
अपनेपन के ही भावों से
सुंदर सा जीवन पलता है।
छोटी छोटी सारी बातों
का मान सदा सबकी रखना
राग, द्वेष औ मिथ्याओं से
बचकर के सब हरदम रहना।
झूठ नहीं रिश्तों में बोलो
हरदम तोल मोल कर बोलो
जब ज्यादा आवश्यक लागे
तब ही अपने मुख को खोलो।
शब्दों की पीड़ाएँ कितने
ही अमिट घाव दे जाते हैं
औ शब्द कभी मलहम बनकर
नासूर यहां भर जाते हैं।
झूठ बोलकर संबंधों में
तुम दांव नहीं कोई चलना
विश्वास मिटा इक बार कहीं
मुश्किल है फिर जीवन चलना।
वेद, पुराण, औ ऋषि, मनीषी
यही बात कहते हैं सारे
सामंजस्य रिश्तों की कुंजी
इनसे बनते रिश्ते न्यारे।
जीवन को यदि जीना है तो
सब रिश्तों का सम्मान करो
मन के भाव समझना है तो
पहले खुद से ही प्यार करो।।
✍️©️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
06सितंबर,2020
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