साथी की भी सुन लेना।
साथी अपना चुन लेना
मन की कुछ करने से पहले
साथी की भी सुन लेना।
पथ दुर्गम हो चाहे जितना
पूरा सबको करना है
पग की सारी पीड़ाओं को
मिलजुल कर के हरना है।
पंथ भले दुष्कर हो तेरा
औ सीमाएं निश्चित हों
कुशल पथिक की भाँती चलना
सब शंकाएं अनुचित हों।
पग पग पर वादों का अंबर
तुझको पूरा करना है
लोभ, मोह, निज स्वार्थ से ऊपर
राह तुझे ही चुनना है।
राह मगर चुनने से पहले
जन गण मन की सुन लेना
मन की कुछ करने से पहले
साथी की भी सुन लेना।
✍️©️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
05सितंबर,2020
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