जीवन की प्रत्यंचा हरदम
कस कर थामे रहना तुम
कितने हों अवरोध, रुकावट
सबको छलनी करना तुम।
पर जीवन का उद्देश्य महज
रण का भाव नहीं होता
इससे पीछे हटना लेकिन
उचित स्वभाव नहीं होता।
एक पराजय से जीवन में
प्रलय नहीं है कोई आती
यदि प्रत्यंचा ढीली ना हो
लक्ष्य संधान सहज बनाती।
इसीलिए इस जीवन रण में
गांडीव सदा थामे रहना
लक्ष्य साधने की खातिर
प्रत्यंचा साधे रहना।।
✍️©️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
02सितंबर,2020
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