टूटे दिल की पीड़ा।

टूटे दिल की पीड़ा।   


टूटे दिल की सुनो कहानी
तुमको आज सुनाता हूँ
विखर रहे जज्बातों के
गीत यहां मैं गाता हूँ।

दूर देश की सीमाओं में
छोटा सा दिल रहता था
प्रेम-प्यार विश्वासों के
वो सपने देखा करता था।

रिश्तों की गोदी में पलकर
गीत खुशी के गाता रहता
एक रुप सब देखा करता
सबसे प्रीत निभाता रहता।

कितनी ही बातों को उसने
अपने अंदर पाया था
आरोप कभी, कभी शिकायत
के सारे भाव छुपाया था।

जब तक वो चुपचाप रहा
सारे खुश खुश रहते थे
पर उसके मन की पीड़ा को
कितने लोग समझते थे।

उसकी गुपचुप पीड़ा को
मैं आज तुम्हें दिखाता हूँ।
बिखर रहे जज्बातों के
गीत यहां मैं गाता हूँ।।

इक दिन दिल ने पूछा सबसे
हुई कहां है गलती उससे
उसने तो बस प्रेम किया, पर
भाव नहीं छुपाया किसी से।

सबको एक बराबर माना
नहीं किसी को दूजा जाना
हर गलती का प्रतिकार किया
ना अपना, न पराया माना।

घावों को बढ़ने से पहले
उसने उसे मिटाया है
नासूर नहीं बनने पाए
उसने धरम निभाया है।

सच से अगर सजा मिलती है
कौन यहां फिर सच बोलेगा
हर घर मे इक टीस उठेगी
हर घर में फिर दिल टूटेगा।

घायल दिल के घावों का
उपचार कभी क्या हो पायेगा
गर सच से अवरोध हुआ तो
झूठ यहां आश्रय पायेगा।

फिर वो दिन कब आएगा 
दिल का मरम समझ पायेगा
जब सच को सम्मान मिलेगा
टूटेगा, पर मुस्कायेगा।

टूटे दिल की इस इच्छा को
सबको आज सुनाता हूँ।
बिखर चुके जज्बातों के
गीत बनाकर गाता हूँ।।

 ✍️©️अजय कुमार पाण्डेय
    हैदराबाद
    18सितंबर,2020

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