एक नुपुर की छम ने देखो
आरंभ जीवन कर दिया
शांत हिय में प्रेम पावन
का भाव प्रस्फुटन कर दिया।
हिय में एक हूक जागी
स्वर रागिनी बजने लगी
मुक्तकंठ ने गीत साजे
नव कोंपलें खिलने लगी।
आज आलिंगन ने तेरे
नवगीत मुझमें भर दिया
थिरकन लगे खुद पाँव मेरे
संगीत मुझमें भर दिया।
✍️©️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
19सितंबर,2020
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