गांव की खुशबू।
नेनुआ, भिंडी औ तररोई
क्या कुछ याद दिलाती है
छप्पर पर लटकी वो लौकी
मुँह में स्वाद जगाती है।
आलू के खेतों की क्यारी
हरी मटर की तरकारी
लहसुन,धनिया की वो खुशबू
घर आंगन महकाती है।
पालक,मेथी औ चौराई
बथुआ मन ललचाता है
दूर देश में बसे सभी को
गांवों की याद दिलाता है।
गन्ना के रस भीनी खुशबू
गुड़ की महक, राब की खुशबू
भूनी आलू सोंधी सोंधी
मन में लोभ जगाती है।
भिंडी, पटर, करेला, कटहल
सबके मन को भाती है
इनके बिना न भाए भोजन
पंगत में स्वाद जगाती है।
बाल्टी में आमों की खुशबू
केला औ अमरूद की खुशबू
जामुन, बेल, आंवला कितने
रोगों को दूर भगाती है।
आज शहर की जिंदगी हमको
देख कहां ले आयी है
बंद हुआ डिब्बों में जीवन
घुट घुट कर तड़पाती है।
पैसा चाहे खूब कमा लो
शहरों में महल बना लो
मगर गांव की खुशबू दिल से
निकल नहीं कभी पाएगी।
असली भारत गांव बसे है
सत्य नहीं मिट पायेगा
दूर देश में बसे सभी को
मिट्टी की याद दिलाएगा।।
✍️©️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
30अगस्त,2020
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