मुझे याद है जरा जरा।




मुझे याद है जरा जरा।  

वो प्यार की हसीन डगर
चले जो बनके हमसफ़र
वो चाहतों की बारिशें
मुझे याद है जरा जरा।

वो ज़ुल्फ़ की घटा तेरी
कांधों पे बेसबब गिरी
पलकों की वो सिफारिशें
मुझे याद है जरा जरा।

तेरी अदा, वो शोखियों
लवों की वो सरगोशियां
बाहों की वो गुजारिशें
मुझे याद है जरा जरा।

वो वक्त की पाबंदियां
वो चीखती खामोशियाँ
वो दिल की मौन ख्वाहिशें
मुझे याद है जरा जरा।

माना कि हम मिले नहीं
साथ दूर तक चले नहीं
पर प्यार की वो राहतें
मुझे याद है जरा जरा।

 ✍️©️अजय कुमार पाण्डेय
       हैदराबाद
       29अगस्त,2020

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