चिट्ठी तेरे नाम लिखी जो
उसको बस पढ़ लेना तुम।
मन की सारी बातें उसमें
मौन, मगर सुन लेना तुम।
थोड़ी सी बातें अपनी हैं
थोड़ी जग की रुसवाई है
थोड़े शिकवे अपनेपन के
औ चाहत की गहराई है।
थोड़ी ही बातें हैं उसमें
पूरा मगर समझ लेना तुम।
चिट्ठी तेरे नाम लिखी जो
उसको बस पढ़ लेना तुम।
साथ निभाने का वादा
राह दिखाने का वादा
भूल नहीं जाना प्रियवर
वादा निभाने, का वादा।
वादों की पीड़ाओं को
मौन मगर सह लेना तुम।
चिट्ठी तेरे नाम लिखी जो
उसको बस पढ़ लेना तुम।
उम्मीदों का आसमान तुम
जीवन में मेरे लाये
अपनेपन की बातों से
कितने ही सपने दिखलाये।
उन सपनों की गठरी को
पलकों से चुन लेना तुम।
चिट्ठी तेरे नाम लिखी जो
उसको बस पढ़ लेना तुम।
जीवन, वो ही जीवन है
जो उम्मीदों पर चलते हैं
इक दूजे का साथी बनकर
सब पीड़ाएँ हरते हैं।
मन की सारी पीड़ाओं को
आज समझ फिर लेना तुम।
चिट्ठी तेरे नाम लिखी जो
उसको बस पढ़ लेना तुम।।
✍️©️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
22अगस्त,2020
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