हम भारत के वासी हैं
भारत का गीत सुनाते हैं।।
भारत की इस माटी पर
क्यों ना हो अभिमान हमें
राह दिखाई जीने की
दिलवाया सम्मान हमें।
है उन्नत इतिहास हमारा
दुनिया ने जिसको स्वीकारा
जिसके हर इक कदमों पर
दुनिया ने तन मन धन वारा।
जिसने सबको राह दिखाया
नैतिकता है क्या समझाया।
ऐसी धरती की माटी पर
हम नित नित शीश झुकाते हैं।
हम भारत के वासी हैं
भारत का गीत सुनाते हैं।।
दुनिया को इसने राम दिए
नानक, बुद्ध महान दिए
दुनिया को गीता समझाया
अच्छे बुरे की राह बताया।
इसने वेद पुराण दिए
जग को चाणक्य महान दिए
हमें विदुर की नीति सिखाई
मानस ग्रंथ महान दिए।
ऐसी पावन माटी को हम
नित नित शीश झुकाते हैं।
हम भारत के वासी हैं
भारत का गीत सुनाते हैं।।
शिक्षा, संस्कृति, सभ्यता का
नित नूतन प्रतिमान दिए
नालंदा औ तक्षशिला संग
काशी, मथुरा से ज्ञान दिए।
जिसने प्रेम सिखाया जग को
हम जिससे जीवन पाते हैं।
हम भारत के वासी हैं
भारत का गीत सुनाते हैं।।
राणा प्रताप, लक्ष्मीबाई
वीर शिवाजी, नानाजी
तोड़ गुलामी की जंजीरें
अलख जगाई आज़ादी की।
राजगुरु, सुखदेव, भगतसिंह
बिस्मिल, सुभाष, आजाद दिए
लाल, बाल, पाल दिए हैं
जवाहर, गांधी महान दिए।
ऐसी पावन जननी को हम
नित नित शीश झुकाते हैं।
हम भारत के वासी हैं
भारत का गीत सुनाते हैं।।
इस माटी की गौरव गाथा
अनजाना क्या गा पायेगा
इसका इक इक कण पावन है
दुश्मन समझ न पायेगा।
जिनके मंसूबे बेमानी है
उनको है एलान यहां
वक्त अभी है बदलें खुद को
वरना मुश्किल राह यहां।
भारत ये भूभाग नहीं है
तुम जिसकी चाहत करते हो
वक्त अभी संभालो खुद को
बेमौत यहां क्यूँ मरते हो।
कण कण में है साहस इसके
हर बच्चा बच्चा शोला है
शत्रु के नापाक इरादों को
बस तलवारों से तोला है।
हैं अहिंसा के अनुयायी हम
पहला वार नहीं करते
स्वाभिमान को छेड़े कोई
हम स्वीकार नहीं करते।
ऐसी पावन धरती का
गुणगान यहां हम गाते हैं।
हम भारत के वासी हैं
भारत का गीत सुनाते हैं।।
✍️©️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
15अगस्त, 2020
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