गीत बनाकर गाता चल।
जीवन सुख दुःख का संगम
इनमें मेल बिठाता चल,
हार मिले या जीत मिले
गीत बनाकर गाता चल।
कितने आये चले गए
बचे, मगर कुछ छले गए,
बचा उसे अपनाता चल
गीत बनाकर गाता चल।
दुनिया है आनी जानी
हर किसी की कोई कहानी,
अपनी नई बनाता चल
गीत बनाकर गाता चल।
छोड़ कर मंझधार चले जो
वापस तेरे क्या आएंगे,
टूटी फूटी पगडंडी है
जाने कौन डगर जाएंगे।
जीवन का न कोई भरोसा
कल क्या होगा किसने देखा
तू नवगीत बनाता चल
गीत खुशी के गाता चल।।
✍️©️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
11जुलाई,2020
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