याद पिया की आयी।
सावन में जब बदरी छाई
याद पिया की पुन पुन आई।
नैनों से तब आंसू बरसे
पिया मिलन को जियरा तरसे।।
पावस ऋतु है बड़ी सुहानी
बनती है नित नई कहानी।
पपिहा पावस गीत सुनाए
अंदर से जियरा अकुलाए।।
बारिश की बूंदें न भाती
बिरहन का राग सुनाती है।
बादल की गर्जन डरवाती
बिजुरी भी हूक उठाती है।।
पिय परदेसी दूर बसे हैं
चंदा बनकर शूल डँसे हैं।
मन का भाव जताऊं कैसे
और इसे समझाऊं कैसे।।
अबके बिछड़े कब आएंगे
प्रेम पुष्प कब खिल पाएंगे।
अब ना तड़पाओ आ जाओ
सावन की ऋतु महका जाओ।।
✍️©️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
12जुलाई,2020
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