मन पर किसका वश चलता है।
आह पुरानी याद सुहानी
सांसों में घुल कर चलता है
कोई कितना जोर लगा ले
मन पर किसका वश चलता है।
दीपक संग पतंगा जलता
लौ के आगे पीछे रहता
व्यर्थ कहां वो फिरता है
मन पर किसका वश चलता है।
अंतस में प्रणय जब पलता
लौ से नहीं पतंगा डरता
प्राण छोड़ प्रणय जब धरता
मन पर किसका वश चलता है।
प्रणय की रश्मि जब जलती
और नहीं परिणाम निरखती
दोनों तरफ प्रेम जब पलता
मन पर किसका वश चलता है।
✍️©️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
04जुलाई,2020
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