सब स्वप्न हो जाएंगे।

सब स्वप्न हो जाएंगे।    

बस कुछ दिन की बात है
फिर सब स्वप्न हो जाएंगे
कल तक था जो अपना
सब वो खत्म हो जाएंगे।

देश धर्म के नारे सारे
सब उनके हो जाएंगे
अपनी अपनी सुविधा खातिर
मनचाही चाल चलाएंगे।

जनता है कठपुतली आखिर
डोर पकड़ हाथ नचाएंगे
बस कुछ दिन की बात है
फिर सब स्वप्न हो जाएंगे।

रेल-तेल का खेल अजब है
संकट के संग मेल अजब है
जनता होगी भ्रमित यहां
कैसा ठेलम तेल अजब है।

हरपल होंगी अपनी बातें
औरों की क्या सुन पाएंगे
बस कुछ दिन की बात है
फिर सब स्वप्न हो जाएंगे।

लोकतंत्र की बातें होंगी
हाथों में खैरातें होंगी
कोई चलेगा तलवारों पर
कुछ के लिए सौगातें होंगी।

राजनीति के चक्रव्यूह में
सब विस्मित रह जाएंगे
बस कुछ दिन की बात है
फिर सब स्वप्न हो जाएंगे।।

✍️©️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
        03जुलाई,2020

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