तुम भारत के भाग्य विधाता
तुम्हें सदा रहे ये भान
आओ मिलकर एक बनें सब
छोड़ के सारे खींचातान।
कोई बाधा व्यवधान नहीं
एक बने जो रहते हैं
लक्ष्य साधना संभव होता
नेक बने जो रहते हैं।
एक दूजे का सम्मान करें
भूल के बीते सब अपमान
आओ मिल सब एक बनें
छोड़ के सारे खींचातान।
कुल पर जब संकट आता है
यौवन ललकारा जाता है
हर संकट से मुक्ति हेतु
साहस स्वीकारा जाता है।
इक दूजे का साथ धरो
छोड़ के सारे अभिमान
आओ मिल सब एक बनें
छोड़ के सारे खींचातान।
देश, धर्म, संस्कृति पर कितने
काले बादल छाए हैं
भ्रष्ट आचरण सर पर बैठा
अनय से सब बौराए हैं।
आज धर्म की विजय करो
और करो सत्य बलवान
आओ मिल सब एक बनें
छोड़ के सारे खींचातान।।
✍️©️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
02जुलाई,2020
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