मेरे जीवन की बगिया में
तुमने अपना अधिवास लिखा
त्याग दिए सब ठौर ठिकाने
इस जीवन का मधुमास लिखा।
इक पग में वनवास लिखा
दूजे पग में रनिवास लिखा
कैसा भी पल हो जीवन का
तुमने बस मधुमास लिखा।
उमस भरी पावस की रातें
गर्मी, सर्दी या हो बरसातें
पतझड़ के मौसम में भी
तुमने केवल मधुमास लिखा।
रस-पूर्ण हृदय उद्यानों से
कलियों सा कोमल फूल लिखा
मरुधर सी तपती भूमि में
तुमने जीवन का मूल लिखा।
निर्मल कोमल अहसास लिखा
मुझमें अपना आकाश लिखा
अपने अंतस के गीतों से
इस जीवन में मधुमास लिखा।
✍️©️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
01जुलाई,2020
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