दो सखियों के मध्य संवाद पूर्वांचली (बनारसी व मिर्जापुरी) लोकगीत--
1-कजरी
अरे रामा टिप टिप बरसे है पनिया
बदरिया घिर आयी रे हारी।
अरे रामा पनिया में भींगे बदनवा,
कजरिया कइसे खेलबू रे हारी।।
हम चाहे जइसे जाइब
नाही बरखा से डेराइब
बरखा केतना रोकी हो डगरिया
कजरिया खेले जाइब रे हारी।।
जो पनिया में तू जइबू
कइसे भींगे से बचइबू
कइसे रखिबू आपन तू खबरिया
बदरिया घिर आई रे हारी।।
आपन खयाल हम तो रखिबे
सखियाँ साथ हम तो रहिबे
तू मनवा से निकाला कसकिया
कजरिया खेले जाइब रे हारी।।
जो तू जइबू कजरी खेले
साथे हमका भी तू लइ ले
अकेले जाए नाही देबे डगरिया
बदरिया घिर आई रे हारी।।
संघे कजरी हम तू खेलब
मिल के झूला हम तू झूलब
चाहे बरसे केतनो इ बदरिया
कजरिया हमहू खेलब रे हारी।।
✍️©️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
13जुलाई,2020
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