अगर साथ तुम ना होते।
जीवन में उल्लास न होता
अगर साथ तुम ना होते।
मन में घोर निराशा होती
खुशियों की ना आशा होती
जीवन सूना सूना होता
कहता कभी, कभी चुप रहता।
एकाकीपन घेरे रहता
इधर-उधर बंजारा फिरता
कौन दिलासा देता इसको
अगर साथ तुम ना होते।
उजड़ा सारा उपवन लगता
सूना घर का आंगन लगता
जीवन में उल्लास न होता
मधुरम एहसास ना होता।
गीतों में सरगम न होता
सूना सूना मधुबन होता
मरुधर सा ये जीवन होता
अगर साथ तुम ना होते।
दिवस न होता, रात न होती
अपनेपन की बात न होती
सपनों का अहसास न होता
जीवन में मधुमास न होता।
मन में कोई आस न होती
रातें सारी उदास होतीं
नीरस सारा जीवन होता
अगर साथ तुम ना होते।।
✍️©अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
12जुलाई,2020
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