भूल नहीं सकता।

भूल नहीं सकता।   

मेरा दर्द लाख मांगो तुम
मगर मैं दे नहीं सकता
मुझे अब लाख चाहो तुम
तुम्हारा हो नहीं सकता।

            भले तुम भूल सकते हो
            पुरानी उस कहानी को
            मगर जो चोट खाई है
            मैं उसको भूल नहीं सकता।

दोष कितने ही मढ़े थे
तुमने मुझपे बेवफाई के
आरोप कितने ही गुहे थे
तुमने मुझपर रुसवाई के।

            आरोप सारे वो तुम्हारे
            अभी तक याद हैं मुझको
            तुम्हारी वो दी हुई पीड़ा
            मैं हरगिज भूल नहीं सकता।

भरी महफ़िल में मुझको छोड़
तुम गैरों से मिलते थे
मिले जो घाव महफ़िल में
मैं उसको भूल नहीं सकता।

            अब लाख तुम राहें तको
            यहां फिर लौट आने की
            मगर जो छूट जाता है
            किनारा मिल नहीं सकता।

है ये मुमकिन के मुझको
भूल जाऊं तेरी जफ़ाओं को
मगर दिल ने सहा है जो
वो उसको भूल नहीं सकता।।

✍️©️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
        27जून,2020




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