मन को साफ करो।
अपनी ताकत को पहचानो
नवनिर्माण की बात करो
टी आर पी का फेरा छोड़ो
भावनाओं का सम्मान करो।
आधुनिकता के नाम पर
नँगा बदन दिखाते हो
जनता की मांग बताकर
क्यों सबको भरमाते हो।
लाज कहां खो जाती है
जब भ्रम फैलाया जाता है
संस्कार और परंपरा का
उपहास उड़ाया जाता है।
कितनी कुंठा है मन में
जो ऐसा दिखलाते हो
भारत के इतिहासों को
तोड़ मोड़ बतलाते हो।
अश्लीलता नथुनों में बैठी
गंध नहीं क्या आती है
ऐसी लापरवाही से क्या
लाज नहीं तुमको आती है।
सस्ते साहित्यों की फंतासी
अनुचित व्यवहार जगाती है
मलिन विचार पनपता है
सुगढ़ता दफन हो जाती है।
गांव मुहल्ले की महिला को
कामुक तुम दिखलाते हो
कितनी गन्दी सोच तुम्हारी
ये सबको जतलाते हो।
वेब सिरीज के नाम पे
ऐसा जाल बिछाया है
नैतिकता तोड़ मोड़ के
कामुकता फैलाया है।
क्या फूहड़ नग्नता में सबको
अभिव्यक्ति स्वतंत्रता दिखती है
धनलोलुपता में झुकते हो
संस्कृति बर्बादी न दिखती है।
परिवार तुम्हारे भी अपने हैं
क्या तुम ये सब अपनाते हो
जो दिखलाते हो पर्दे पर
क्या घर में भी दिखलाते हो।
भारत के इतिहासों में
नारी हरपल पूज्य रही
स्थान बराबर था उसका
मिला कदम वो साथ चली।
नारी का योगदान तुम
कभी नहीं दिखलाते हो
धन-पिपासा इतनी क्यों
उसको भोग्या बतलाते हो।
बंद करो कुचक्र ये सारे
भ्रांतियां, अनैतिकता सारे
ऐसे बस व्यभिचार बढ़ेगा
टूटेंगी नैतिकता सारे।
यदि सच्चे हमदर्द हो तो
पहले मन को साफ करो
अश्लील प्रदर्शन को त्यागो
शालीन सोच स्वीकार करो।।
✍️©️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
03जून,2020
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें