इन्द्रधनुष सा बचपन।
दूर गगन में मौसम न्यारा
इन्द्रधनुष निकला है प्यारा
रंग-बिरंगी छटा निराली
सतरंगी मोरों की आला।
आओ हिलमिल सारे आओ
सुन नन्हें, मुन्ने, प्यारे आओ
नभ का देखो रूप संलोना
रंग-बिरंगा जीवन पाओ।
ऊंच नीच की बेड़ी टूटे
राग-द्वेष सब पीछे छूटे
फूलों सा महके ये बचपन
प्रेम-प्यार की कोंपल फूटें।।
✍️©️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
02जून,2020
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