माँ सरस्वती वंदना।
वीणावादिनी, हे शारदे माँ
हमको ऐसा वरदान दे माँ
लिखूँ प्रेम जनगण के मन में
भावप्रवणता भर दे मुझमें।।
वीणावादिनी ऐसा वर दो मुझको
उल्लासित करूं मैं जन-जन को
वंदना में अर्पित करूं जीवन को
शरण, चरण में दे दो मुझको।।
उत्साह नया संचार करूं माँ
लेखनी से व्यवहार करूं माँ
प्रेम भाव भरूं जन-मन मे
नवयुग का आह्वान करूं माँ।।
साहस की सरिता हो प्रवाहित
जीवन में तप-त्याग समाहित
सत्य-संचयन मुझमें भर दो
माँ वीणावादिनी वर दो मुझको।।
सुमति सदा व्यवहार हो जग में
मनुजता का भाव हो जग में
हो परस्पर सम्मान सभी का
मधुर भाव हृदय में भर दो।।
माँ वीणावादिनी ऐसा वर दो
भावप्रवणता जग में भर दो।।
©️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
08 मई, 2020
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