ये समर्पण भूल न जाना

ये समर्पण भूल न जाना

त्याग, तपस्या, प्यार, समर्पण
जीवन में कभी भूल न जाना
मानवता का पर्याय यही है
जीवन में कभी भूल न जाना।

अलिखित पीड़ा द्वार खड़ा
जीवन पर संकट आन पड़ा
त्याग, तपस्या और मनोबल
का है इसमें पर, स्थान बड़ा।

इक त्रासदी ने जीवन रोका है
हर चेहरों की रौनक लूटा है
इस त्रासदी में हैं जो संग हमारे
उपकार कभी तुम भूल न जाना।

डॉक्टर, पुलिस, सफाईकर्मी
यथार्थ में हैं स्वाभाविक धर्मी
कदम-कदम पर साथ खड़े हैं
इस विपदा से निपट रहे हैं।

बंद हुए जब मंदिर सारे
मस्जिद, गिरजा और गुरुद्वारे
तब ईश्वर भी वेश बदल कर
इन रूपों में जन कल्याण कर रहे।

अगणित व्याकुल, भूखे-प्यासे
इस  संकट में बाट निहारें
मनुजप्रेमी समाजसेवी सब
निःस्वार्थ बने हैं तारनहारे।

आओ इनका सम्मान करें
सब मिलकर गुणगान करें
डॉक्टर, पुलिस, सफाईकर्मियों का
सर्वोच्च सुनिश्चित स्थान करें।

इस विपदा में जो आज खड़े हैं
बन जीवन रक्षक आज खड़े हैं
उनके सुगठित व्यवहारों का
सम्मान कभी तुम भूल न जाना।

ये त्याग, तपस्या, प्यार, समर्पण
जीवन में कभी भूल न जाना।
मानवता का पर्याय यही है
जीवन में कभी भूल न जाना।।

 ©️अजय कुमार पाण्डेय
 हैदराबाद
 27अप्रैल, 2020

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