बटोही


बटोही।                                                            
चिर सजग बटोही, व्यस्त है बाना
न ठहर अभी तू, दूर है जाना।।

सरिता की लहरों सा चलना
पल-पल कल कल बहते रहना
अचल हिमगिरि के हृदय से निकल
निर्वाध गति से बहते रहना।।

अगणित पथिक मिलेंगे पथ में
संग-संग तेरे चलेंगे पथ में
उन पथिकों पर ध्यान धरो तुम
पथ की अपने पहचान करो तुम।।

पथ में कंटक, शूल मिलेंगे
पथ में मौसम प्रतिकूल मिलेंगे
हर मौसम में ढलते रहना
पुण्य मार्ग पर चलते रहना।।

सफल पंथ हो, ध्यान करो तुम
असंभाव्य भाव से दूर टरो तुम
परिणामों के न फेर में पड़ना
निर्बाध, निरंतर चलते रहना।।

न ठहर अभी तू, दूर है जाना।
न ठहर अभी तू, दूर है जाना।।

अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
02अप्रैल, 2020


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