चलते रहना है।
भले हो मुश्किल राहें कितनी
हमको तो चलते रहना है
लाख अंधेरा घना भले हो
बन दीपक हमको जलना है।
मुश्किल भले हों....
हमको तो चलते......।।
राह सुगम हो या हो दुर्गम
गिरना है संभलना है
अपने नभ की आस लिए
हमको तो चलते रहना है।
मुश्किल भले.....
हमको तो चलते....।।
ईर्ष्या, द्वेष, बैर-भाव के
भाव रहेंगे जब तक सीने में
जीवन उतना दुर्गम होगा
मुश्किल होगा फिर जीने में।
सीने में ले लगन चलो
ले प्रेम भाव की अगन चलो
बन सूरज हमको तपना है
पर चंदा सा शीतल रहना है।
मुश्किल कितनी हो राह मगर
हमको तो चलते रहना है।।
दूर भले हों कितने अपने
न बिखरें जो बुने हैं सपने
इन सपनो की चाहत ले कर
हमको तो हर पल जगना है।
भले हो मुश्किल राह यहां
हमको तो चलते रहना है।।
जीवन अपना है सुख-दुःख का संगम
त्याग, तपस्या, प्यार, समर्पण
है वेदों का सार यही
हमको इसमें ही पलना है।
भले हो मुश्किल राहें कितनी
हमको तो चलते रहना है,
लाख अंधेरा घना भले हो
बन दीपक हमको जलना है।।
©️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
29अप्रैल, 2020
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