कायरता स्वीकार नहीं।
आधुनिकता का प्रभाव तेज है
इच्छाओं का प्रवाह तेज है
इच्छाओं को वश में करना
ध्यान रहे इतना इस रण में
स्वीकार यहां है सब कुछ, लेकिन,
स्वीकार नहीं कायर बनना।
स्वीकार नहीं कायर बनना।
इक युद्ध खड़ा है द्वारे पर
हट मत जाना पीठ फेर कर
युद्ध तेरा निर्णायक है ये
पग पग पर खुद नायक है
या जीत तुम्हारा माथा चूमे
या बलिदानों का द्वार खुले।
स्वीकार यहां है सब कुछ,
बस, कायरता स्वीकार नहीं।
छद्म युद्ध क्यों, कब तक सहना
घुट-घुट कर यूँ, कब तक जीना
मानवता का पर्याय यहां बन
खुशियों का अभिप्राय यहां बन
बहुत बह चुका खून-पसीना
क्यों, कब तक अश्रु पीना।
स्वीकार यहां है सबकुछ, लेकिन
स्वीकार नहीं कायर बन जीना।
जीवन ये अनमोल है तेरा
मानवता का न मोल है तेरे
मिट-मिट कर हर बार बना है
सत्य हरदम सीना तान खड़ा है
सत्य का तू अवधारण करना
बनना कुछ भी, बस कायर न बनना।।
©️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
24 अप्रैल, 2020
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