चाणक्य


चाणक्य।      

सत्यमार्ग दिखलाते चाणक्य
नवनिर्माण सिखलाते चाणक्य
राष्ट्र चेतना भाव प्रणेता का
देशज मार्ग बतलाते चाणक्य।।

चौथी शती ईसा पूर्व में जन्मे
तक्षशिला में ज्ञान लिया
राष्ट्रप्रेम व स्वाभिमान का
पल पल था सम्मान किया।

शिक्षा के महत्व को समझा
विद्या का सम्मान किया
अर्थशास्त्र की रचना कर
दुनिया को वरदान दिया।

अखण्ड भारत का अनुरोध लिए
वो जब धनानंद के पास गए
निर्लज्जता से अपमानित कर
प्रस्ताव को अस्वीकार किया।

किया अपमान आचार्य का उसने
सभाभवन में तिरस्कार किया
तब नन्दवंश के समूल नाश तक
शिखा न बांधने का शपथ लिया।

क्रोध व पश्चाताप से ग्रसित
सभाभवन से निकल पड़े
एक राष्ट्र श्रेष्ठ का प्रण लिए
अपनी ही जिद्द पर रहे अड़े।

मार्ग में देखा चन्द्रगुप्त को
राजकीलकम खेलते हुए
संभावना नजर दिखी तब
लेकर उनको चल दिये।

चन्द्रगुप्त के सहयोग से
एक राष्ट्र नीति का संधान किया
सब जनपद को साथ में लेकर
अखण्ड भारत का निर्माण किया।

सप्तांग सिद्धांत का वर्णन कर
राज्य तत्व का सम्मान किया
राजा, मंत्री, प्रजा या जनपद के योगदान
को राष्ट्रनिर्माण में सम्मिलन किया।

सीमा की रक्षा करना
राजकोष मुख के समान है
दण्ड व्यवस्था राज्य का मस्तिष्क
सुहृद( मित्रता) को स्थान दिया।

राष्ट्रवाद की व्याख्या की
बौद्धिक विमर्श का सिद्धांत दिया
स्वतंत्रता के महत्व को समझा
अभिव्यक्ति को सम्मान दिया।

राष्ट्रविरोधी भाव को मगर
नही कोई स्थान दिया
राष्ट्रद्रोह अपराध बड़ा है
कठोर दंड का विधान किया।

राष्ट्रवाद सिद्धांत सुघड़ है
सनातन संस्कृति मार्ग सुगम है
अनंतकाल से शाश्वत है ये
राष्ट्रप्रेम व्यवहार सुघड़ है।

यदि इन सिद्धांतों के मूल्य को
हम अब आज समझ न पाएंगे
तो फिर वो दिन दूर नही
जब समाज रसातल में जाएंगे।।

अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
10अप्रैल, 2020





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