गृह निर्माण करें


गृह निर्माण करें।  

नैतिकता की नींव पे खड़ा
सिद्धांतों की भीत पे अड़ा
छत्र हो जिसकी मूल्यता का
रीति का आंगन हो बड़ा।

जहां संवाद शून्यता का स्थान न हो
जहां निजता का अभिमान न हो
जहां नीतियां धन मूल्यों से हों बड़ी
जहां संस्कृति, सभ्यता दृढ़ता से डटीं।

आओ ऐसा कुछ पर्याय करें
ऐसे साध्य का संधान करें
जहां प्रेम, समर्पण, दया भाव हो
ऐसा गृह निर्माण करें।।

जहां अधिकारों की बातों से पहले
कर्तव्यों की बात चले
जहां व्यक्तिवाद की प्रमुखता से पहले
सद्वविचारों की बात चले।

जहां न तेरा हो, न मेरा हो
जहां न लोभ-मोह का फेरा हो
जहां ज्ञान दीप के प्रकाशपुंज से
दूर हृदय का अंधेरा हो।

जहां प्रेम प्यार की बात चले
जहां लाभ-हानि की बात से पहले
उत्तरदायी समर्पण की बात चले
जहां मूल्यवान सम्बंध मात्र हो
ऐसी उत्कंठा का संधान करें।।

आओ गृह निर्माण करें
आओ गृह निर्माण करें।।

अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
09अप्रैल,2020

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