श्री राम प्रार्थना।
कर जोड़ खड़ा जो द्वार तिहारे
निश्छल मनमोहक रूप निहारे
कहे, हृदय जो शुद्ध कर लीन्हा
प्रभु राम हृदय में दर्शन दीन्हा।।
पढ़े भागवत , सुमिरे प्रभु को
शुद्ध भाव हो, करे निर्मल मन को
जो धर्म मार्ग पे खुद को अर्पित कीन्हा
उन्हें प्रभु फिर शरण में लीन्हा।।
परम् कृपा सुरूप हैं प्यारे
जन उद्धारक वो पाप सँहारे
परम् पुण्य तब आनन्दित कीन्हा
प्रभु राम हृदय में दर्शन दीन्हा।।
लोभ, मोह, माया, अभिमानी
मिटे पाप बन जाये ज्ञानी
ज्ञान शक्ति जब अन्वेषण कीन्हा
प्रभु राम हृदय में दर्शन दीन्हा।।
सहस्र कमल हो, दया शक्ति हो
सत्य ज्ञान हो, परम् धाम हो
पाप हरो प्रभु मंगल करना
शुद्ध भाव जन जन में भरना।।
बार बार करूं विनती प्रभु से
सुगुण-गण विस्तारित हो फिर से
राम नाम जप अमृत दीन्हा
ज्योतिर्मय निश्चय जग कीन्हा।।
अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
02अप्रैल 2020
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें