मेरी पुत्रियों द्वारा निर्मित चित्र
चित्र चिंतन- संघर्षों की राह
जो मानवता से प्रीत है सच्ची
तो संघर्षों की जीत है पक्की
चलते जाना रुक मत जाना
संघर्षों की राह है सच्ची।।
अगणित भले बाधाएं आएं
भोग-विलास मन भरमाएं
अटल इरादे हैं जो तेरे
संघर्षों की राह है सच्ची।।
कर्मठता पर्याय मनुज का
आलस्य है पर्याय दनुज का
कर्मपथ पर अविराम चला चल
संघर्षों की राह है सच्ची।।
भौतिकता खोने का भय कैसा
पथ के शूलों से घबराना कैसा
खोने को है पास तेरे क्या, पर
जीत से तेरी कीर्ति है पक्की।।
चल उठ फिर आगे बढ़ तू
संघर्षों की ज्वाला बन तू
जितेंद्रिय जो आज बना तो
संघर्षों की जीत है पक्की।।
अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
29मार्च, 2020
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