एलबम ज़िंदगी

     एलबम ज़िंदगी                                       

एलबम के किसी कोने में
मुस्कुराती है जिंदगी,
कभी खुशियों, कभी गमों
के पलों को सजाती है जिंदगी।

पन्ने पन्ने जोड़कर
इक किताब बनाती है
यादों की पोटली से
निकाल बीती फिर सजाती है।

अतीत के उन पलों को
इक मुकाम दिलाती है, ज़िंदगी,
एलबम के किसी कोने में
मुस्कुराती है जिंदगी।।

इच्छाओं के भींगे चाबुक खाकर
सबको बांधने की कोशिश करती है
टूटती है, गिरती है, संभलती है
फिर उसी राह चल पड़ती है।

कभी रंग-बिरंगे, कभी श्वेत-श्याम
पन्नों पे उकेरी जाती है जिंदगी,
एलबम के किसी कोने में
हर पल मुस्कुराती है जिंदगी।।

अजय कुमार पाण्डेय

हैदराबाद

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