मौत
मौत
एक ठहराव है
ज़िंदगी का
उम्र की कठिनाइयों से
जब थक हार जाते हैं
लड़ने की इच्छा शक्ति
समाप्त हो जाती है
जब सारे आडंबर दूर हो जाते हैं
माया रुपी बदल जब छंट जाते हैं
तब साक्षात्कार होता है,
एक सत्य का - मौत का |
यह एक सत्य है, कटु सत्य
जानते हैं, पर मानते नहीं,
मिलना है,इससे
मुझे,तुम्हें,हर किसी को
स्वीकारना चाहते नहीं
जितनी रफ़्तार से इससे दूर भागते हैं
दूनी रफ़्तार से इसे अपने नजदीक पाते हैं|
हम डरते हैं- मौत से
मौत तो सत्य है
अटल है
डरने की चीज तो ज़िंदगी है
जो हर कदम बांहे फैलाये
अपनी आगोश में लेने को बेताब है ||
अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
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