ज़िंदगी - एक पहेली
ज़िंदगी
एक अबूझ पहेली की तरह है
कभी लगता है- यह नाम है
रफ़्तार का,जोश का,उम्मीद का
वक्त के साथ साथ चलने का
मंज़िल दर मंज़िल आगे बढ़ना का |
कभी लगता है - यह नाम है
मुश्किलों का, कठिनायों का
लड़ने का, जूझने का
खुद से, औरों से, समाज से
कभी लगता है-
यह काँटों भरी है
तो अगले ही पल फूल सी लगती है
यह ज़िंदगी ||
कभी लगता है
यह एक बोझ है
हम जिसे ढोने को मजबूर हैं
अगले ही पल-फूल सी लगती है
कभी अजनबी सी लगती है
कभी अपनी सी
यह ज़िंदगी ||
मौत तो सत्य है, अटल है
पर यह एक मृगमरीचिका है
हम जिसके पीछे भागते हैं
जितना सुलझाने की कोशिश करो
उतनी ही उलझती जाती है
क्या है - पल-पल रंग बदलती
यह ज़िंदगी ?
अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
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