संवाद नहीं करते
मुल्क हमारा घिरा हुआ
है अगणित तूफानों से
सेहत इसकी बिगड़ रही
है अवसरवादी अवसादों से |
अभी न चेते आज अगर
तो फिर आगे पछताना होगा
कोई कितना भी दंभ भरे
भारत को मोल चुकाना होगा |
जब लोकतंत्र के वाहक ही
जातिवाद की बात करें
जब भ्रष्टाचारी हावी होकर
जनतंत्र का नाश करें |
जब सत्ता की चौखट पर
अवसरवादी उपवास करें
जब मिथ्यावादी खुलेआम
सत्यकाम का उपहास करें|
ऐसे में तुम्ही कहो
मैं कैसे चुप चाप रहूँ
कलम को कैसे गिरवी रख दूँ
मैं कैसे चुपचाप सहूँ |
मैं दिनकर और निराला जी
की पीढ़ी का वाहक हूँ
मैं भारत की मूल आत्मा
राष्ट्र धर्म का ध्वज धारक हूँ|
पर मुझको ये जातिवाद
अवसरवाद डराता है
गली गली में उठने वाला
राष्ट्रद्रोह तड़पाता है |
भारत मान का दिल रोता है
देख के इन करतूतों को
नफरत होने लगती है
देख के इन कपूतों को |
मैं ऐलान यहां करता हूँ
भारत के गद्दारों से
कान खोल सुन लें जयचंद सारे
जो छुपे हुए हैं
सत्ता के गलियारों में |
हम अहिंसा के अनुयायी हैं
हिंसा की बात नहीं करते
पर जब भारत माँ का
सीना छलनी हो
तब संवाद नहीं करते ||
अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
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