तेरा ही आँचल पाऊं
ओस की इक बूँद था मैं
इसे मोती बनाया तुमने
नदी की इक उच्छृंखल धरा था मैं
इसे सलीके से बहना सिखाया तुमने|
इक नादान परिंदा था मैं
मुझे उड़ना सिखाया तुमने
शब्द तो बहुत मिले जीवन में
उन्हें सूत्र में पिरोना सिखाया तुमने|
ये मेरे पूर्व जन्मों का पुण्य है
जो तुम्हारा आँचल मिला है मुझको
यही प्रार्थना है ईश्वर से
मैं जब भी दुनिया में आऊं
हे मात-पिता मेरे
मैं तेरा ही आँचल पाऊं ||
अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
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