एक गीत- उसी मोड़ पर
कल मुझे फिर मिली वो उसी मोड़ पर
मुड़ गयी थी जहां वो मुझे छोड़कर।
देखकर सामने यूँ वो शर्मा गयी
याद बातें पुरानी वो फिर आ गईं।
क्या मैं कहता उसे क्या हुआ था हमें
बात दिल की जो थी वो दबी रह गयी।।
कल मुझे फिर मिली वो उसी मोड़ पर
मुड़ गयी थी जहां वो मुझे छोड़कर।।
उसकी आँखों का लहजा शिकायत भरा
मेरी आँखों का लहजा दिखा ही नही।
क्या मैं कहता उसे क्या हुआ था हमें
जब मुलाकात को उसने समझा नहीं।।
कल मुझे फिर मिली वो उसी मोड़ पर
मुड़ गयी थी जहाँ वो मुझे छोड़कर।।
अब मैं कैसे बताऊँ जुदा क्यूँ हुए
मैंने चाहा उन्हें, वो न मेरे हुए
इक कशिश सी कहीं पर दबी रह गयी
न मैं कह सका, न वो कह सकी।।
कल मुझे फिर मिली वो उसी मोड़ पर
मुड़ गयी थी जहाँ वो मुझे छोड़कर।।
©️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
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