नया उजाला लाना है।
जीवनपथ पर चलते चलते
जग ने कुछ अंधियारे देखे,
उन अंधियारों को दूर भगाने
इक अलख नई जगाना है।
नवयुग के निर्माण के लिए
नया उजाला लाना है।।
जीवन की पथरीली राहों पर
सँभल कर कदम बढ़ाना है,
राह में मिले जो शूल कहीं तो
चुनकर उन्हें हटाना है।
नवयुग के निर्माण के लिए
इक नया उजाला लाना है।।
सांसों की निर्मल स्याही से
नवजीवन ग्रन्थ रच जाना है
अंधियारे मावस के पल को
प्रकाशवान कर जाना है।
नवयुग निर्माण के लिए
इक नया उजाला लाना है।।
महलों से कह दो झोंपड़ियों
में भी इक दीप जलाना है,
में भी इक दीप जलाना है,
अंधकार सब दूर हो मन का
सबको अधिकार दिलाना है।
नवयुग के निर्माण के लिए
इक नया उजाला लाना है।।
चित्त शांत हो, मन निर्मल हो
निज लोभ, मोह में बंधे न कोई,
कण कण से हर ले अज्ञ जो
ऐसा अभियान चलाना है।
नवयुग के निर्माण की खातिर
इक नया उजाला लाना है।।
©️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
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