प्यार का मौसम बार बार आता नही
प्यार का मौसम बार बार आता नही
आंखों में सपना बार बार छाता नही
न ठुकराओ स्नेह निमन्त्रण
ये आलिंगन, ये आमंत्रण
ये महज आकर्षण नही
ये पुष्प है जो बार बार खिलता नही
प्यार का मौसम बार बार मिलता नही।।
तुम लगती हो किरण प्रभात की
मासूम सी छुवन कपास की
तुम पावस का प्रेम राग हो
तुम स्नेह, अनुरक्ति, अनुराग हो।
अनुरक्ति का ये नभ बार बार छाता नही
प्यार का मौसम बार बार आता नही।।
ये पवित्र पुंज है, पूण्य धाम है
मोहन की मुरली, सीता का राम है
ये अमृत स्रोत है, प्राण वायु है।
असफल यत्नों से अधरों का भाव छुपता नही
प्यार का ये मौसम बार बार मिलता नही।।
पूर्ण सत्य ये, पूर्ण स्वप्न ये
ये ही जीवन की परिभाषा
क्षण मिलन का भाव हवन का
बार बार आता नही।
प्यार का मौसम बार बार आता नही।।
अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
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