सबको अपने हिस्से का आसमान मिलता है

सबको अपने हिस्से का आसमान मिलता है


सबको अपने अपने हिस्से का आसमान मिलता है
किसी किसी को अधिक किसी को कम मिलता है
सबको अपने अपने हिस्से का आसमान मिलता है।।

विपदाओं का धरणीधर हो
या शूल भरे हों राहों में
उम्मीदें जो साथ अगर हैं
तो मुश्किलों में भी राह निकलता है।
सबको अपने अपने हिस्से का आसमान मिलता है।।

लाख करे कोई चतुराई
विधि का लिखा ही पायेगा
कुटिलता जहां भी आदर पाएगी
अशांति का महाभारत वहीं पर आएगा।
कोई कितना भी जतन कर ले
समय अपनी ही गति से चलता है।
सबको अपने अपने हिस्से का आसमान मिलता है।।

जितनी भी पूंजी थी लगा दिया तुमने
कभी दिल तो कभी दिमाग भी चला लिया तुमने
जो हिस्से का था तुम्हारे वही तुम्हे मिलता है
सबको अपने अपने हिस्से का आसमान मिलता है।।

अपने अपने पसंद के सपनों को
हर कोई संजोना चाहता है
सहेज कर उम्र को अपने
खुशियों को अपने आँचल में समेटना चाहता है
अपनी उन्ही ख्वाहिशों की खातिर
वो अविराम चलता है,
जबकि मालूम है उसे भी के
सबको अपने अपने हिस्से का आसमान मिलता है।।

जीवनपथ पर रोज़ अगणित लोग निकलते हैं
कुछ धीमे धीमे तो कुछ तेज़ पग रखते हैं
कुछ ठोकर खाकर गिरते हैं
कुछ ठोकर खाकर सम्भलते हैं
कर्मपथ की पगडंडी पर
अगणित पदचिन्हों का निशान मिलता है,
सबको अपने अपने हिस्से का आसमान मिलता है।।

©️अजय कुमार पाण्डेय

हैदराबाद

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