समझना होगा

    आज समझना होगा


दिल की अद्भुत भाषा है
इसको आज समझना होगा
कर प्रखर मस्तिष्क को अपने
दिल पर संयम रखना होगा।

बनकर मूक बधिर इस जग में
उपालंभ सारे सुनना होगा
जो दिल को आज समझना है तो
खुद को आज परखना होगा।

कौन है अपना कौन पराया
इससे आज उबरना होगा
सम्बन्धों में बनी दीवारों को
फिर से आज दरकना होगा।

सम्बन्धों को जो आज समझना है तो
खुद को आज परखना होगा।।

सन्देहों के आसमान से 
षड्यंत्रों की बू आती है
अहंकार के अवशेषों से
दीवारों को दरकाती है
अवसादों की शैया को
फिर से आज सिमटना होगा।

षड्यंत्रों से जो निबटना है तो
फिर से आज सम्भलना होगा।।

ढाई आखर प्रेम छोड़कर
स्वार्थी सब अनुबंध हुए
ढलने लगा जब कोख का जीवन
अर्थहीन  सम्बन्ध हुए
कोख की बढ़ती इस पीड़ा को
सबको आज समझना होगा

खुद की आज समझना है तो
कोख का दर्द समझना होगा।।

अजय कुमार पाण्डेय


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