दिल की अनकही बातें

दिल की अनकही बातें

गीत अधरों पे लाते उमर ढल गयी
बात दिल की अभी तक कही न गयी।

उम्र भर जिंदगी को निहारा किये
दूर तक रास्तों को बुहारा किये
आस हर पल मिलन की लगाए रहे
जाने क्या बात थी जो छुपाए रहे
दिल का आँगन सजाते उमर ढल गयी
बात दिल...।

खुद ही दर्पण बने खुद को देखा किये
जो मिले ज़ख्म दिल को चुप-चुप सिये
अपनी परछाईं को भी छुपाते रहे
प्रतिबिंब भी नीर में हम बनाते रहे
अपनी परछाईं सजाते उमर छल गयी
बात दिल.....।

हाथ की रेख पल-पल बदलती रही
सिलवटें रात करवट बदलती रही
रात खुद लाज ओढ़े छुपती रही
साँस खुद साँस के हाथ बिकती रही
सिलवटों को छुपाते उमर ढल गयी
बात दिल....।

काल के हाट में अब खड़े हम यहाँ
मोल खुद का लगाये हुए हम यहॉं
जिंदगी किश्तों में यूँ उलझती रही
चाहतें अंजुरी से फिसलती रहीं
किश्तें सब से छुपाते उमर चल गयी
बात दिल...।

©✍️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
       10 अगस्त, 2023


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