गजल-गीत कोई गाए कैसे
कैसी मुश्किल है कोई दिल को बताए कैसे
दर्द कब हद से गुजरता है जताए कैसे
दूर तक जख्मों से छलनी हों जो मन की राहें
कोई इन राहों पे जाए तो वो जाए कैसे
हर किसी को जो नहीं मिलता मुहब्बत का सफर
कोई फिर दिल को दिलासा ये दिलाये कैसे
फिर से इन आँखों में थोड़ी-जो नमी आयी है
आज आँखों से कोई अश्क छिपाए कैसे
भीड़ भी यूँ तो हरिक सिम्त मगर किससे कहें
ये नकाबों का शहर है तो यूँ जाएं कैसे
गीत रहते हैं दफन दिल में तेरी यादों के
"देव" महफ़िल में तेरी कोई भी गाए कैसे
©✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
23जुलाई, 2023
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