जीवन पथ से नाता।
कभी दुखों के अँधियारे
पथ जीवन का शीतल लगता
कभी लगे ये अंगारे
सुख-दुख जीवन के दो पहलू
इक आता इक जाता है
जीवन कब ये रहा अछूता
इनसे सबका नाता है।।
कभी बिना माँगे मिल जाता
कभी चाहतें दूर हुईं
कभी आस चौखट पर आई
कभी स्वयं ही दूर हुई
कभी खिली उम्मीदें सारी
जिनमें मन हँसता गाता
है शिथिल कभी गतिशील कभी
जीवन यूँ बीता जाता।।
कभी अधर पर गीत सुनहरे
कभी आह के सुर सजते
कभी विरह के गीत सताते
कभी प्रेम के सुर सजते
बिछड़ गया जो कभी मिलेगा
मन खोता, मन फिर पाता
नहीं सफर ये रहा अकेला
इससे सबका है नाता।।
©✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
25मार्च, 2023
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